Game Changer Movie Review : रामचरण की मोस्ट अवेटेड फिल्म “गेम चेंजर” फाइनली थिएटर्स में रिलीज हो चुकी है। “आरआरआर” के बाद रामचरण का ये बड़ा प्रोजेक्ट माना जा रहा था। प्रमोशन भी इसी एंगल से किया गया। डायरेक्टर शंकर, जो “नायक,” “शिवाजी,” और “रोबोट” जैसी लेजेंडरी फिल्में दे चुके हैं, उनके नाम से भी फिल्म के लिए उम्मीदें काफी हाई थीं। लेकिन क्या ये मूवी उस हाइप पर खरी उतरी? चलिए, डिटेल में जानते हैं।
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प्रोडक्शन और इनीशियल एक्सपेक्टेशन
“गेम चेंजर” को बनाने में काफी टाइम और एफर्ट लगाया गया। शंकर की ये पहली तेलुगु फिल्म है। रामचरण के फैंस इसे ब्लॉकबस्टर मानकर चल रहे थे। लेकिन शंकर की हालिया फिल्मों, जैसे “इंडियन 2,” को लेकर थोड़ी शंका भी थी।
फिल्म का रनटाइम 2 घंटे 45 मिनट है। मैंने इसे फर्स्ट डे फर्स्ट शो में देखा। सुबह जल्दी उठकर थिएटर जाना एक एक्साइटिंग एक्सपीरियंस था। लेकिन मूवी देखने के बाद फील हुआ कि ये मिक्स्ड बैग है।
पहला हाफ: प्रेडिक्टेबल और स्लो
मूवी का पहला 90 मिनट बहुत ही जेनेरिक फील होता है। ऐसा लगा जैसे शंकर ने अपनी ही पुरानी फिल्मों के प्लॉट्स को रीमिक्स करके पेश किया हो।
स्टोरी और कैरेक्टर्स
रामचरण का कैरेक्टर एक एंग्री कॉलेज स्टूडेंट का है। वो सही के लिए लड़ता है लेकिन हर जगह फाइट करने लगता है। हीरोइन (कियारा आडवाणी) का रोल बहुत ही वीक है। उसका सिर्फ एक काम है हीरो को मोटिवेट करना।
उनकी केमिस्ट्री भी फीकी लगती है। मूवी में वही पुराने क्लिशे जैसे हीरो का हीरोइन के पीछे चलना, बार-बार रिपीट होता है। सबसे वीयर्ड पार्ट था जब कियारा का कैरेक्टर बोलता है कि अगर हीरो IAS बनेगा तो वो रहेगी, लेकिन IPS बनने पर वो छोड़ देगी। ये प्लॉट पॉइंट बिना लॉजिक का था।
इंटरवल ट्विस्ट
इंटरवल के ठीक पहले एक ट्विस्ट आता है। ये थोड़ा इंटरेस्टिंग जरूर लगता है, लेकिन पूरी तरह से प्रेडिक्टेबल था।
दूसरा हाफ: थोड़ा बेटर
इंटरवल के बाद मूवी थोड़ा सुधरती है। फोकस हीरो और विलन की राइवलरी पर शिफ्ट होता है। ये पार्ट एंगेजिंग है, लेकिन पहले हाफ की खराबी इसकी इम्पैक्ट कम कर देती है।
बैकस्टोरी का ओवरडोज
दूसरे हाफ में हीरो की बैकस्टोरी को 20-22 मिनट तक खींचा गया। ये बहुत स्लो और बोरिंग लगती है। ये पार्ट अगर शॉर्ट होता तो मूवी ज्यादा टाइट लगती।
विलन vs हीरो
रामचरण और विलन के बीच का टग-ऑफ-वार सबसे स्ट्रॉन्ग पॉइंट है। उनके सीन्स देखने लायक हैं।
टेक्निकल एस्पेक्ट्स
कैमरा वर्क और सिनेमैटोग्राफी
मूवी की सिनेमैटोग्राफी काफी शानदार है। 360-डिग्री कैमरा शॉट्स और डॉली जूम का खूब यूज किया गया है। हालांकि, ओवरडोज के कारण ये कई जगह बेमतलब लगता है।
एडिटिंग और विजुअल्स
विजुअल्स ब्राइट और एट्रैक्टिव हैं। शंकर की फिल्में हमेशा ग्रैंड होती हैं, और यहां भी वही बात है। लेकिन ओवरस्लो मोशन और एक्स्ट्रा एफेक्ट्स के कारण कुछ सीन्स नकली लगते हैं।
म्यूजिक और बैकग्राउंड स्कोर
बैकग्राउंड म्यूजिक अच्छा है, लेकिन गाने एवरेज हैं। थिएटर में म्यूजिक इतना लाउड था कि कान और सिर दर्द होने लगे।
परफॉर्मेंस
रामचरण
रामचरण ने अपनी परफॉर्मेंस में एफर्ट दिखाया है। कुछ इमोशनल सीन्स में वो काफी अच्छे लगे। लेकिन कई जगह उनकी एक्टिंग फोर्स्ड लगती है।
कियारा आडवाणी
कियारा का रोल कमजोर लिखा गया है। उनका कैरेक्टर रिपीटेड और बोरिंग है।
सपोर्टिंग कास्ट
विलन का कैरेक्टर मूवी का एक स्ट्रॉन्ग पॉइंट है। हीरो और विलन की केमिस्ट्री ही फिल्म को थोड़ा बचाती है।
क्लाइमेक्स
क्लाइमेक्स में ग्रैंडनेस दिखाने की कोशिश की गई है। लेकिन ओवर-द-टॉप एक्शन और लॉजिक की कमी के कारण ये असरदार नहीं लगता। मूवी के रूल्स और टोन को क्लाइमेक्स में पूरी तरह इग्नोर कर दिया गया।
कौन देखेगा ये मूवी?
अगर आपको रिपीटेड स्टोरीज और हाई वोल्टेज कैमरा वर्क पसंद है, तो “गेम चेंजर” देख सकते हैं। जो लोग रामचरण या शंकर के हार्डकोर फैंस हैं, उन्हें ये मूवी ठीक लग सकती है। लेकिन अगर आप कुछ नया और रिफ्रेशिंग ढूंढ रहे हैं, तो ये मूवी आपके लिए नहीं है।
फाइनल वर्डिक्ट
“गेम चेंजर” एक एवरेज एंटरटेनर है। इसका पहला हाफ काफी वीक है, जबकि सेकंड हाफ थोड़ा बेहतर है। टेक्निकल लेवल पर मूवी काफी स्ट्रॉन्ग है, लेकिन स्टोरी और कैरेक्टर डेवेलपमेंट में कमी है।
रेटिंग: 2.5/5
अगर आप रामचरण के फैन हैं, तो इसे एक बार देख सकते हैं। वरना इसे स्किप करना बेहतर होगा। Also Read
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