Pushpa 2 The Rule Review : पुष्पा: द राइज के बाद इसके सीक्वल पुष्पा 2: द रूल का बेसब्री से इंतज़ार था। फैंस को लगा था कि यह पहले पार्ट से भी बड़ा धमाका करेगा। पर फिल्म का एक्सपीरियंस मिक्स्ड है। स्टोरी बड़ी लगती है, लेकिन इम्पैक्ट हल्का पड़ता है।
स्टोरी: पुष्पा का सपना
पुष्पा (अल्लू अर्जुन) अब सिर्फ पैसा और पावर नहीं चाहता। उसे इज्जत चाहिए। वो चाहता है कि सोसायटी उसे एक्सेप्ट करे। परिवार और दुनिया से उसे रिस्पेक्ट चाहिए।
फिल्म की स्टोरी इसी “रिस्पेक्ट” के ऊपर बेस्ड है। लेकिन स्टोरीटेलिंग काफी वीक है। इमोशन्स को ठीक से प्रेजेंट नहीं किया गया।
एग्जिक्यूशन में कमी
मूवी की एडिटिंग बहुत रश लगती है। ऐसा लगता है मेकर्स को जल्दी थी फिल्म को खत्म करने की। कई सीन अचानक खत्म हो जाते हैं। ट्रांजिशन स्मूद नहीं है।
पुष्पा का एक्सटेंडेड फैमिली वाला ट्रैक भी बेमतलब लगता है। इमोशनल कनेक्शन बिल्ड करने की कोशिश तो है, लेकिन वो काम नहीं करता।
पुष्पा बनाम बिग प्लेयर्स
फिल्म का एक मेजर सीन तब आता है जब पुष्पा एक सीएम से मिलने जाता है। ये मीटिंग उसके लिए टर्निंग पॉइंट बनती है। उसे अहसास होता है कि बड़े लोग उसे कभी बराबरी का दर्जा नहीं देंगे।
इसके बाद पुष्पा और बड़े प्लेयर्स के बीच फाइट शुरू होती है। लेकिन एंटागोनिस्ट्स काफी वीक लगते हैं। फहाद फासिल का कैरेक्टर इंट्रेस्टिंग था, लेकिन उसे प्रॉपर यूज नहीं किया गया।
इमोशनल मोमेंट्स
अल्लू अर्जुन का परफॉर्मेंस इस फिल्म की जान है। उनके इमोशनल सीन्स इम्प्रेस करते हैं।
एक सीन जहां पुष्पा को उसकी भतीजी के किडनैप होने की खबर मिलती है, वो बहुत इमोशनल था। पर एडिटिंग और बैकग्राउंड स्कोर ने उसका इम्पैक्ट कम कर दिया।
पुष्पा का इमोशनल साइड फिल्म में ठीक से एक्सप्लोर नहीं हुआ। फिल्म उसकी पर्सनैलिटी का बैलेंस दिखाने की कोशिश करती है, लेकिन वो जंपकट्स जैसा लगता है।
गाने और कोरियोग्राफी: बड़ा मिसटेक
फिल्म के गाने एक बड़ी डिसअपॉइंटमेंट हैं। कोरियोग्राफी तो और भी ज्यादा वीक है।
एक रोमांटिक सॉन्ग, जिसमें रश्मिका मंदाना हैं, वो देखने में क्रिंज लगता है। ऐसा लगता है जैसे मेकर्स को पता ही नहीं था कि ये सीन कितना एम्बैरेसिंग है।
लिरिक्स भी बहुत चीप हैं। ऐसा लगता है किसी ने जल्दी-जल्दी में लिखा हो।
फीमेल कैरेक्टर्स: मिसमैचड मेसेज
फिल्म में महिलाओं की पोर्ट्रेयल काफी कंफ्यूजिंग है। एक तरफ मेकर्स स्ट्रॉन्ग फीमेल कैरेक्टर्स दिखाने की कोशिश करते हैं। दूसरी तरफ रोमांटिक सीन इतने बुरे हैं कि आप उनसे कनेक्ट ही नहीं कर पाते।
रश्मिका का कैरेक्टर बहुत अंडरयूटिलाइज्ड है। पुष्पा और उसकी लव स्टोरी बिल्कुल इम्पैक्ट नहीं छोड़ती।
एक्शन सीक्वेंस: ओवर द टॉप
एक्शन सीन्स काफी ग्रैंड हैं। हाई-स्पीड चेज़ और फाइटिंग सीन विजुअली इंप्रेसिव हैं।
पर कई जगह एक्शन इतना अनरियल लगता है कि हंसी आ जाती है। जैसे एक सीन में पुष्पा अकेले पूरी आर्मी से भिड़ जाता है।
फहाद फासिल: वेस्टेड पोटेंशियल
फहाद फासिल का कैरेक्टर बंवर सिंह शेखावत बहुत पावरफुल हो सकता था। लेकिन फिल्म में उनका रोल बहुत कम है।
उनका और पुष्पा का राइवलरी ट्रैक ज्यादा डेवलप नहीं हुआ। यह सबसे बड़ा डिसअपॉइंटमेंट है।
कल्चरल इम्पैक्ट: क्या ये मैजिक दोबारा हो पाएगा?
पहली पुष्पा का कल्चरल इम्पैक्ट बहुत बड़ा था। उसके डायलॉग्स, गाने, और सीन पॉप कल्चर में छा गए थे।
पर पुष्पा 2 वो लेवल रीक्रिएट नहीं कर पाती। डायलॉग्स में वही दम नहीं है।
फाइनल वर्डिक्ट: फन लेकिन सीरियस नहीं
पुष्पा 2: द रूल इंटरटेनिंग है, पर गलत वजहों से। यह मूवी ओवर-द-टॉप है और खुद को बहुत सीरियसली लेती है।
अगर आपको लार्जर दैन लाइफ एक्शन पसंद है, तो यह मूवी देखने लायक है। पर अगर आप स्टोरी और कंसीस्टेंसी चाहते हैं, तो आपको निराशा हो सकती है।
अंतिम बात
पुष्पा 2 में अच्छे मोमेंट्स हैं, लेकिन ओवरऑल यह पहली फिल्म जितनी स्ट्रॉन्ग नहीं है। अल्लू अर्जुन का परफॉर्मेंस शानदार है, पर एक्टर अकेले पूरी फिल्म नहीं संभाल सकते।
मूवी देखो अगर क्यूरियस हो। पर रेड फ्लैग्स के लिए तैयार रहो। अपने थॉट्स शेयर करना मत भूलना!
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