Fateh Movie Review: सोनू सूद की डायरेक्टोरियल डेब्यू “फतेह” काफी चर्चा में थी। इसका A-सर्टिफिकेट और एक्शन-पैक्ड ट्रेलर लोगों को थ्रिल देने वाला लग रहा था। लेकिन मूवी देखने के बाद एक अलग ही रियलिटी सामने आती है।
प्लॉट का ओवरव्यू
फतेह (सोनू सूद) एक एक्स-स्पेशल ऑप्स ऑफिसर है, जिसका पास्ट डार्क और इंटरेस्टिंग है। वो एक सीक्रेट एजेंसी के लिए काम करता था, जो बाद में डिफंक्ट हो गई। इसके बाद वो पंजाब के एक गांव में पीसफुल लाइफ जीने की कोशिश करता है।
गांव में एक लोकल बैडी निमृत (शिव ज्योति राजपूत) मोबाइल लोन और ऐप्स के जरिए लोगों को लोन दिलवाती है। लेकिन लोन न चुका पाने पर कंपनियां क्लाइंट्स को ब्लैकमेल और हरास करने लगती हैं। जब फतेह का एक एम्प्लॉई और निमृत का कस्टमर सुसाइड कर लेते हैं, तो कहानी का मेन प्लॉट शुरू होता है।
कैरेक्टर्स और उनकी जर्नी
खुशी (जैकलीन फर्नांडिस)
खुशी एक एथिकल हैकर है, जो इस क्राइम सिंडिकेट को टेक डाउन करने की कोशिश करती है। उसके स्ट्रिंग ऑपरेशन में कई फ्रेंड्स मारे जाते हैं, और निमृत किडनैप हो जाती है।
फतेह का बदला
निमृत के किडनैप होने पर फतेह को एक्शन में आना पड़ता है। वो ओसीडी रखते हुए, लोअर लेवल से टॉप तक सारे गुंडों को खत्म कर देता है। लेकिन उसका तरीका ऐसा है जैसे किचन में सब्जियां काट रहा हो।
मूवी की वीकनेस
1. एक्शन सीक्वेंसेस का इम्पैक्ट
मूवी के एक्शन सीक्वेंसेस जॉन विक से इंस्पायर्ड हैं, लेकिन उनका कोई असर नहीं होता। फतेह हमेशा एकतरफा लड़ाई करता है। वो कमरे में घुसता है, गोली चलाता है, और सभी दुश्मन मर जाते हैं। लेकिन उसे खुद कभी कोई सीरियस थ्रेट नहीं होता।
2. थ्रिल और टेंशन की कमी
फतेह के लिए हर लड़ाई बेहद ईजी लगती है। ये हीरो को मजबूत दिखाने के बजाय स्टोरी को बोरिंग बना देती है। एक्शन सीन्स में इमोशनल या फिजिकल थ्रेट का अभाव है।
3. प्लॉट की प्रेडिक्टेबिलिटी
स्टोरी में ट्विस्ट और टर्न्स की कमी है। मूवी का नैरेटिव बेहद सिंपल और प्रेडिक्टेबल है।
4. स्क्रिप्ट और डायरेक्शन
सोनू सूद ने मूवी को लिखा, डायरेक्ट और प्रोड्यूस किया है। लेकिन स्क्रिप्ट में गहराई और क्रिएटिविटी की कमी साफ नजर आती है।
कुछ ब्राइट स्पॉट्स
1. जैकलीन फर्नांडिस की परफॉर्मेंस
जैकलीन को बड़े दिनों बाद स्क्रीन पर देखना अच्छा लगा। उनका किरदार खुशी थोड़ी जान डालता है।
2. विजयराज और नसीरुद्दीन शाह
ये दोनों सपोर्टिंग कास्ट के रूप में जान डालते हैं। नसीरुद्दीन शाह का किरदार क्राइम सिंडिकेट का मास्टरमाइंड है, जो साइबर क्राइम और टेक्नोलॉजी का उपयोग करता है।
3. सोशल कमेंट्री
लोन ऐप्स के जरिए ब्लैकमेल और साइबर क्राइम पर फोकस मूवी के लिए एक यूनिक एंगल लेकर आता है।
फाइनल वर्डिक्ट
“फतेह” अपने A-सर्टिफिकेट और एक्शन के वादों पर खरी नहीं उतरती। मूवी में इमोशनल थ्रिल और टेंशन की कमी है। एक्शन सीन्स जॉन विक से इंस्पायर्ड हैं लेकिन उनमें नई बात नहीं है।
रेटिंग: 2/5
अगर आपको सिंपल एक्शन पसंद है और आप सोनू सूद के फैन हैं, तो ये मूवी एक बार देख सकते हैं। वरना इसे स्किप करना बेहतर होगा।
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